
विकास पागल हो सकता है,
परन्तु पागल का विकास कभी नहीं हो सकता!
नमो को वोट दिया जा सकता है,
परन्तु नमूने को नहीं,

जो पार्टी विपक्ष में रहते हुये भी
देश विरोधी घोषणापत्र ला सकती है, तो वो…
सत्ता में रहकर क्या गुल खिलाएगी
किसी ने कहा-मोदी के आने से क्या हुआ है?
मैंने कहा-कुछ नहीं बस जो कश्मीर मांगते थे,वो भीख मांग रहे हैं.
बुरा मान गया पगला
😂😂😂
मोदी ने भारत को दूनिया से
आंख से आंख मिलाने की ताकत दे दी
और चमचे अभी नाक से नाक ही मिला रहे हैं 😝😝😂
एक अकेला पार्थ खडा है
भारत वर्ष बचाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं
केवल उसे हराने को।।
भ्रष्ट दुशासन सूर्पनखा ने
माया जाल बिछाया है।
भ्रष्टाचारी जितने कुनबे
सबने हाथ मिलाया है।।
समर भयंकर होने वाला
आज दिखाईं देता है।
राष्ट्र धर्म का क्रंदन चारों
ओर सुनाई देता है।।
फेंक रहें हैं सारे पांसे
जनता को भरमाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं
केवल उसे हराने को।।
चीन और नापाक चाहते
भारत में अंधकार बढ़े।
हो कमजोर वहां की सत्ता
अपना फिर अधिकार बढे।।
आतंकवादी संगठनों का
दुर्योधन को साथ मिंला।
भारत के जितने बैरी हैं
सबका उसको हाथ मिला।।
सारे जयचंद ताक में बैठे
केवल उसे मिटाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं
केवल उसे हराने को।
भोर का सूरज निकल चुका है अंधकार घबराया है।।
कान्हा ने अपनी लीला में
सबको आज फंसाया है।
कौरव की सेना हारेगी
जनता साथ निभायेगी।
अर्जुन की सेना बनकर के
नइया पार लगायेगी।
ये महाभारत फिर होगा
हाहाकार मचाने को।
सभी विपक्षी साथ खड़े हैं
केवल उसे हराने को।।
🙏शीतल शर्मा 🙏
औरत के गीले बाल और लोकतंत्र…
😂😂😂😂
पॉलिटिकल साइंस के सेमिनार में एक विद्यार्थी का बयान था कि मेरा तो यक़ीन लोकतंत्र पर से सन 1996 में ही उठ गया था..
कहने लगा के ये उन दिनों की बात है जब एक शनिवार को मैं मेरे बाक़ी तीनों बहन भाई, मम्मी पापा के साथ मिलकर रात का खाना खा रहे थे कि पापा ने पूछा:- कल तुम्हारे चाचा के घर चलेंगें या मामा के घर?
हम सब भाइयों बहनों ने मिलकर बहुत शोर मचा कर चाचा के घर जाने का कहा, सिवाय मम्मी के जिनकी राय थी के मामा के घर जाया जाए।
बात बहुमत की मांग की थी और अधिक मत चाचा के खेमे में पड़ा था …बहुमत की मांग के मुताबिक़ तय हुआ कि चाचा के घर जाना है। मम्मी हार गईं। पापा ने हमारे मत का आदर करते हुए चाचा के घर जाने का फैसला सुना दिया। हम सब भाई बहन चाचा के घर जाने की ख़ुशी में जा सो गये।
रविवार की सुबह उठे तो मम्मी गीले बालों को तौलिए से झाड़ते हुए बमुश्किल अपनी हंसी दबाए ..उन्होंने हमसे कहा के सब लोग जल्दी से कपड़े बदलो हम लोग मामा के घर जा रहें हैं।
मैंने पापा की तरफ देखा जो ख़ामोशी और तवज्जो से अख़बार पढ़ने की एक्टिंग कर रहे थे.. मैं मुंह ताकता रह गया..
बस जी! मैंने तो उसी दिन से जान लिया है के लोकतंत्र में बहुमत की राय का आदर… और वोट को इज़्ज़त दो… वग़ैरह – वगैरह सब एक से एक ढकोसला है।
“असल फैसला तो बन्द कमरे में उस वक़्त होता है जब ग़रीब जनता सो रही होती है”
😜😜😜😜😜
इसके बाद उस विद्यार्थी ने पोलिटिकल साइंस छोड़कर बायोलॉजी सब्जेक्ट ले लिया।. 😂😂